Nij Bhasha

निज भाषा मे बात करने का अलग ही मजा है। मेरी मात् भाषा हिन्दी है । इस चिट्ठे मे आप हिन्दी से जुडे अन्य विस्तृ॒त दुनिया जाल के माध्यम से हिन्दी को पढ सकते है और ज्ञान पा सकते है।

Saturday, July 08, 2006

गर्मियो की छुट्टिया


अपने बच्चॊ की गर्मियो की छुट्टिया होते ही हमे अपने बचपन की छुट्टिया याद आती है। जब छुट्टियॊ के होते ही हम अपनी नानी के गाव जाया करते थे , साथ मे स्कूल से मिलने वाला ढेर सारा गृह कार्य ले जाते थे। गाव मे पहुचते ही क्या मजे आते थे। सभी लोग हमसे मिलने आते थे । खेतो मे जाकर कच्चे आम खाना, रोज का काम था । वापस आते हुए ट्रेक्टर पर बैठ कर आना, सारा दिन धूप मे खेलना, चुप चुप कर गुडिया- गुडिया खेलना, गिल्ली ड्न्डा खेलना, ट्यूब वैल के पानी मे गोता लगाना,जब छुटिट्या खत्म होने वाली होती थी तो फ़टाफ़ट अपना गृह कार्य जल्दी जल्दी खत्म करते थे ।कितने खूबसूरत दिन थे वो, सभी याद आता है।

Tuesday, June 06, 2006

हमे शिकायत है........

हमे शिकायत है, जिन्दगी से नही ,पर उन लोगो से जो किसी से बात करते हुये दूसरो की बातो को अहमियत नही देते है। क्या आपको भी किसी से शिकायत है? तो हम आपकी शिकायत दूर तो नही कर सकते पर आप हमारे साथ उसे बाट जरूर सकते है........

वेदॊ के बारे मे जानिये....

http://www.vedpuran.com

हिन्दी मे समाचार

http://www.bbc.co.uk/hindi/

Monday, June 05, 2006

फूल और सिर्फ़ फूल







फूलॊ से किसे प्यार नही होगा, ये सभी फूल हमारे बागीचे के है। हमे हमारे बागीचे मे सब्जिया लगाने की सख्त मनाही है। कुछ नियमॊ कि वजह से, इसीलिये हमने सिर्फ फूल लगाये है। पिछले वर्ष चुपके से कुछ ट्माटर के पौधे लगाये थे, पर उनकी नजर से हमारे पौधे नही बच पाये, तो इस साल सिर्फ़ फूल और फूल.........